जैन धर्म के संस्थापक कौन माने जाते हैं?

Answer: ऋषभदेव

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Explanation: जैन परंपरा में ऋषभदेव (आदिनाथ) को पहले तीर्थंकर और जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने ही मनुष्यों को कृषि, पशुपालन और सामाजिक व्यवस्था का ज्ञान दिया। हालांकि ऐतिहासिक दृष्टि से महावीर को जैन धर्म के संगठित रूप का प्रवर्तक माना जाता है। ऋषभदेव का उल्लेख ऋग्वेद और पुराणों में भी मिलता है। जैन परंपरा के अनुसार वे अत्यंत त्यागी और अहिंसक थे और उन्होंने मोक्ष मार्ग की नींव रखी।

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जैन धर्म में लंघन का क्या अर्थ है?

Answer: उपवासExplanation: जैन धर्म में लंघन का अर्थ है उपवास या भोजन का त्याग। यह शरीर और मन की शुद्धि... और देखें

जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ कौन-कौन से हैं?

Answer: आगम ग्रंथExplanation: जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ आगम कहलाते हैं। ये तीर्थंकरों और आचार्यों के उपदेशों का संकलन हैं।... और देखें

जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Answer: मोक्ष प्राप्तिExplanation: जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य आत्मा को जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर मोक्ष प्राप्त कराना है।... और देखें

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जैन धर्म में sallekhana क्या है?

Answer: स्वेच्छा से उपवास द्वारा मृत्युExplanation: सल्लेखना जैन धर्म में एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे भोजन और पानी... और देखें

जैन धर्म में उपाध्याय कौन होते हैं?

Answer: धार्मिक शिक्षा देने वालेExplanation: उपाध्याय वे साधु होते हैं जो जैन ग्रंथों का अध्ययन और अध्यापन करते हैं। वे... और देखें

जैन धर्म में साधु और साध्वी का जीवन कैसा होता है?

Answer: त्याग और संयमपूर्णExplanation: जैन साधु और साध्वी सांसारिक जीवन त्यागकर पूर्ण संयम, ब्रह्मचर्य और तप का पालन करते हैं।... और देखें

जैन धर्म में अणुव्रत क्या हैं?

Answer: गृहस्थों के लिए छोटे व्रतExplanation: अणुव्रत वे छोटे व्रत हैं जिन्हें जैन गृहस्थ पालन करते हैं। इनमें पंच महाव्रतों... और देखें

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